ट्रंप की टैरिफ नीति पर भारत-इंडोनेशिया की प्रतिक्रिया


डोनाल्ड ट्रंप द्वारा फार्मास्युटिकल उत्पादों पर आयात शुल्क लगाने की घोषणा ने वैश्विक व्यापारिक हलकों में हलचल मचा दी है। यह निर्णय अमेरिका में दवाइयों के प्रमुख आपूर्तिकर्ता देशों जैसे भारत और इंडोनेशिया के लिए खास चिंता का विषय बन गया है। दोनों देशों की प्रतिक्रिया और रणनीति इस स्थिति में उनके आर्थिक दृष्टिकोण को बखूबी दर्शाती है।

भारत, जो वर्षों से “दुनिया की फार्मेसी” के रूप में जाना जाता है, अमेरिका को जेनेरिक दवाइयों का सबसे बड़ा निर्यातक है। ऐसे में जब ट्रंप ने फार्मास्युटिकल आयातों पर टैरिफ लगाने की बात कही, तो भारत में उच्च स्तर पर बैठकें शुरू हो गईं। वाणिज्य मंत्रालय और फार्मा उद्योग से जुड़ी प्रमुख संस्थाओं ने तुरंत इस खतरे से निपटने की रणनीति तैयार करनी शुरू की।

विशेषज्ञों का कहना है कि इन टैरिफ का असर सिर्फ भारत के निर्यात पर ही नहीं, बल्कि अमेरिका के मरीजों पर भी पड़ेगा, जो सस्ती दवाइयों के लिए भारत पर निर्भर हैं। यह नीति दोनों देशों के लिए घाटे का सौदा बन सकती है।

भारत की नीति आमतौर पर ऐसे वैश्विक दबावों का सामना कूटनीतिक स्तर पर करती है। इसके अलावा भारत ने बीते वर्षों में अपने निर्यात गंतव्यों में विविधता लाने की कोशिश की है, लेकिन अमेरिका अब भी एक बड़ा बाजार बना हुआ है, जिससे पूर्णतः दूरी बनाना आसान नहीं।

वहीं दूसरी ओर, इंडोनेशिया अमेरिका को दवाइयों का बड़ा निर्यातक नहीं है, पर उसने ट्रंप की घोषणा को भविष्य के व्यापारिक संकेत के रूप में गंभीरता से लिया है। इंडोनेशिया सरकार ने इसे आत्मनिर्भरता बढ़ाने के अवसर के रूप में देखा है, खासकर अपने फार्मा उद्योग को क्षेत्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए।

इंडोनेशिया इस मौके को राष्ट्रीय जैव प्रौद्योगिकी और दवा अनुसंधान में निवेश बढ़ाने के अवसर के रूप में देख रहा है। सरकार ने उद्योग को प्रोत्साहन देने और नए बाजारों की तलाश करने का संकेत दिया है, जिससे देश वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में अपनी भूमिका बढ़ा सके।

भारत के लिए यह खतरा तात्कालिक और सीधा है, इसलिए वहां प्रतिक्रियाएं तेज और व्यावहारिक हैं। वहीं इंडोनेशिया इस मौके का उपयोग अपने दीर्घकालिक औद्योगिक विकास की योजना को मजबूत करने में कर रहा है। यह फर्क दोनों देशों की रणनीतिक सोच को उजागर करता है।

भारत ने संकेत दिए हैं कि यदि ट्रंप की नीति लागू होती है, तो वह इस मुद्दे को विश्व व्यापार संगठन (WTO) तक ले जाने में भी संकोच नहीं करेगा। इसके साथ ही भारत अमेरिका से सीधा संवाद भी शुरू कर चुका है, उम्मीद करते हुए कि यह निर्णय अस्थायी और राजनीतिक प्रेरित है।

भारत के कई फार्मा निर्माता अब अमेरिकी टैरिफ से बचने के लिए तीसरे देशों में उत्पादन इकाइयाँ स्थापित करने की योजना पर भी विचार कर रहे हैं, खासकर उन देशों में जिनका अमेरिका से मुक्त व्यापार समझौता है। यह रणनीति व्यावसायिक लचीलापन दिखाती है।

इंडोनेशिया के फार्मा उद्योग संगठन सरकार से अपेक्षा कर रहे हैं कि वह नियामकीय प्रक्रियाओं को सरल करे और घरेलू उत्पादन को प्रोत्साहन दे। इससे इंडोनेशिया का फार्मा उद्योग ना सिर्फ घरेलू ज़रूरतों को पूरा कर सकेगा, बल्कि नए बाज़ारों में भी प्रवेश कर पाएगा।

अर्थशास्त्रियों का मानना है कि भारत और इंडोनेशिया की प्रतिक्रियाएं उनकी व्यापारिक परिपक्वता को दर्शाती हैं। भारत, जो पहले से ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में मजबूत स्थिति रखता है, तुरंत बचाव की रणनीति अपना रहा है। वहीं इंडोनेशिया, जो अभी निर्माण के चरण में है, इस मौके का उपयोग निर्माण के लिए कर रहा है।

इस नीति से दोनों देशों को यह सिख मिल रही है कि किसी एक बाज़ार पर अत्यधिक निर्भरता दीर्घकालिक दृष्टिकोण से जोखिम भरी हो सकती है। व्यापारिक विविधता और घरेलू उत्पादन क्षमता में वृद्धि ऐसी परिस्थितियों से बचने की कुंजी है।

भले ही ट्रंप की यह नीति अब तक लागू नहीं हुई है, पर इसका प्रभाव पहले से ही दिखाई देने लगा है। इससे एक बार फिर यह स्पष्ट हो गया है कि वैश्विक व्यापार में स्थायित्व नहीं है, और देश को हमेशा बदलती नीतियों के लिए तैयार रहना चाहिए।

भारत और इंडोनेशिया दोनों अब भविष्य के लिए बेहतर तैयार दिख रहे हैं। भारत तेज़ी से कूटनीतिक और व्यावसायिक विकल्प तलाश रहा है, जबकि इंडोनेशिया अपनी बुनियाद को और मजबूत करने में जुटा है।

यह स्थिति दोनों देशों के लिए एक नई आर्थिक दिशा तय कर सकती है। यदि वे इस संकट को अवसर में बदलने में सफल होते हैं, तो भविष्य में ये देश वैश्विक फार्मा उद्योग में एक मजबूत स्थान बना सकते हैं।

अंततः, यह स्पष्ट हो रहा है कि आर्थिक लचीलापन केवल निर्यात के आंकड़ों से नहीं, बल्कि नीतिगत दूरदर्शिता, तकनीकी नवाचार और बाजारों में विविधता लाने की क्षमता से तय होता है। भारत और इंडोनेशिया इस नई वैश्विक चुनौती में अपने-अपने रास्ते बना रहे हैं।

Posting Komentar

Lebih baru Lebih lama